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“मैं आजाद हूँ, आजाद रहूँगा और आजाद ही मरूंगा”

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27 फरवरी 1931 को भारत के वीर सपूत चंद्रशेखर आजाद सच में 'आजाद' हो गए थे. इस दिन को जहां लोग मायूसी के लिए जानते हैं वहीं इसी दिन को गर्व के लिए भी जानते हैं. मायूसी इसलिए क्योंकि इसी दिन भारत के वीर सपूत चंद्रशेखर आजाद ने करोड़ों भारतीयों को अलविदा कह दिया था. गर्व इसलिए क्योंकि आजाद ने कहा था कि वह कभी किसी ब्रिटिश सरकार के हाथों में नहीं आएंगे और ना ही उनकी गोली से मरेंगे. इस लिए उन्होंने अपनी पिस्तौल से खुद को गोली मार ली और शहीद हो गए. आज ही के दिन चंद्रशेखर आजाद की मौत इलाहाबाद के अल्फ्रेड पार्क अब चंद्रशेखर आजाद पार्क में हो गई थी. “मैं आजाद हूँ, आजाद रहूँगा और आजाद ही मरूंगा” यह नारा था भारत की आजादी के लिए अपनी जान की कुर्बानी देने वाले देश के महान क्रांतिकारी स्वतंत्रता सेनानी चंद्रशेखर आजाद का। मात्र 24 साल की उम्र जो युवाओं के लिए जिंदगी के सपने देखने की होती है उसमें चन्द्रशेखर आजाद अंग्रेजों के खिलाफ लड़ते हुए शहीद हो गए। बहुत छोटी उम्र 14-15 साल की उम्र में चन्द्रशेखर आजाद को ब्रिटिश सरकार द्वारा आंदोलन में भूमिका लेने पर गिरफ्तार कर लिया गया था। गिरफ्त

बसंत पंचमी मूलरूप से प्रकृति का उत्सव है

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बसंत पंचमी यानी नई चेतना का प्रारंभ होने या नव ऋतु का आगमन होना ,बसंत पंचमी भारतवर्ष में हिन्दुओं का प्रसिद्ध त्योहार एंव उत्सव है इस दिन विद्या की देवी माँ सरस्वती की पूजा का विधान है बसंत पंचमी के पर्व से ही 'बसंत ऋतु' का आगमन होता है। भारत में माघ मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को सरस्वती की पूजा का दिन माना गया है। हिंदू धर्म में माँ सरस्वती वाणी और अभिव्यक्ति की अधिष्ठात्री हैं। बसंत को ऋतुओं का राजा अर्थात् सर्वश्रेष्ठ ऋतु माना गया है। इस समय पंचतत्त्व अपना प्रकोप छोड़कर सुहावने रूप में प्रकट होते हैं। पंच-तत्त्व- जल, वायु, धरती, आकाश और अग्नि सभी अपना मोहक रूप दिखाते हैं। शांत, ठंडी, मंद वायु, कटु शीत का स्थान ले लेती है तथा सब को नवप्राण व उत्साह से स्पर्श करती है। पत्रपटल तथा पुष्प खिल उठते हैं। आकाश स्वच्छ है, वायु सुहावनी है, सूर्य रुचिकर है तो जल पीयूष के समान सुखदाता और धरती, तो मानो साकार सौंदर्य का दर्शन कराने वाली प्रतीत होती है। विहंग भी उड़ने का बहाना ढूंढते हैं। किसान की लहलहाती जौ की बालियों और सरसों के फूलों की खुश्बू अलग ही प्रतीत होती है, जहा

पुलवामा अटैक: 14 फरवरी का दिन दुःखद ,स्वर्ग जैसी धरती हुई थी खून से लहूलुहान

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14 फरवरी, यह तारीख कभी भूली नहीं जा सकती है। क्योंकि किसी ने कभी सोचा नही होगा सुबह से शाम तक क्या हो जाएगा । क्योंकि जब पूरे विश्व में ओर भारत मे प्यार ओर मोहब्बत का जश्न मनाया जा रहा था ओर एक तरफ देश में प्रेमी जोड़े 14 फरवरी को वैलेंटाइन डे मना रहे थे। उस वक्त हिन्दुस्तान के जम्मू-कश्मीर में कुछ बड़ा हुआ था । आतंकवादियों ने दिल को दहला देने वाली वारदात को अंजाम दिया था। वहीं दूसरी तरफ स्वर्ग जैसी धरती जवानों के खून से लहू-लुहान हो गई थी। आज ही के दिन साल 2019 की 14 फरवरी को सुबह आम ही थी लेकिन दोपहर काली रही।  तारीख 14 फरवरी, यानी आज ही के दिन वार गुरुवार को 78 बसों में 2547 जवानों का काफिला जम्‍मू से श्रीनगर जा रहा था और इसकी जानकारी न जाने कहां से आतंकवादी संगठन जैश-ए-मोहम्मद को लग गई। क्योंकि इसी संगठन ने फिदायीन हमले की जिम्मेदारी ली थी।  जम्मू-कश्मीर के पुलवामा में इसी सीआरपीएफ की बटालियन पर फिदायीन हमला हुआ। इस हमले में सीआरपीएफ के 40 जवान शहीद हो गए ओर देश के कोने कोने में 40 घर एक साथ वीरान हो गए। बहादुर जवानों का शव सड़कों पर बिखरा पड़ा था, बसें खून से सनी हुईं

केंद्र सरकार ने केंद्रीय बजट में सोमवार को कृषि सेक्टर के लिए कई अहम ऐलान किए।

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वर्ष 2021-22 के लिए केंद्रीय बजट पेश कर रहीं वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कृषि सेक्टर के लिए एग्रीकल्चरल क्रेडिट टारगेट (कृषि ऋण लक्ष्य) और अधिक बढ़ाए जाने की जानकारी दी। साथ ही  वित्त मंत्री ने यह भी बताया कि उनकी सरकार किसानों की बेहतरी के लिए काम करने के लिए प्रतिबद्ध है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने संसद में बजट पेश करते हुए बताया कि 2021-22 में किसानों को अधिक कृषि ऋण उपलब्‍ध कराने का लक्ष्य रखा गया है। यह लक्ष्य 16.5 लाख करोड़ रुपये का है, जबकि पिछली बार यह 15 लाख करोड़ रुपये का था। वित्त मंत्री ने अपने भाषण में कहा कि हमारी सरकार किसानों के कल्याण के लिए प्रतिबद्ध है। सभी फसलों पर उत्पादन लागत का कम से कम 1.5 गुना अधिक एमएसपी दी जा रही है। उन्होंने कहा, ''हमने किसानों को 75 हजार करोड़ रुपये ज्यादा दिए हैं। किसानों को दिए जाने वाले भुगतानों में भी तेजी की गई है।'' उन्होंने बताया की गेहूं पर  2013-14 में गेहूं किसानों को कुल 33 हजार 874 करोड़ रुपये दिए गए थे, जबकि 2019-20 में यह आंकड़ा बढ़कर 62 हजार करोड़ से ज्यादा हो गया। 2020-21 के दौरान भी इसमे