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भारत की महान बेटी भगिनी निवेदिता का भारत से जुड़ाव - जन्म जयंती विशेष

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आज 28 अक्टूबर की बात करे तो स्वामी विवेकानंद जी की शिष्या भगिनी निवेदिता का स्मरण करना आवश्यक हो जाता है । स्वामी विवेकानंदजी को याद करने पर सिस्टर निवेदिता का याद आना स्वाभाविक है। वे न केवल स्वामीजी की शिष्या थीं, वरन् पूरे भारतवासियों की स्नेहमयी बहन थीं। सिस्टर निवेदिता का असली नाम मार्गरेट एलिजाबेथ नोबुल था। स्वामी विवेकानन्द की शिष्या भगिनी निवेदिता का जन्म 28 अक्टूबर, 1867 को आयरलैंड में हुआ था। वे एक अंग्रेज-आइरिश सामाजिक कार्यकर्ता, लेखक एवं एक महान शिक्षिका थीं। भारत के प्रति अपार श्रद्धा और प्रेम के चलते वे आज भी प्रत्येक भारतवासी के लिए देशभक्ति की महान प्रेरणा का स्रोत है। स्वामी विवेकानन्द से प्रभावित होकर आयरलैण्ड की युवती मार्गरेट नोबेल ने अपना जीवन भारत माता की सेवा में लगा दिया। प्लेग, बाढ़, अकाल आदि में उन्होंने समर्पण भाव से जनता की सेवा की।  बचपन से ही मार्गरेट नोबेल की रुचि सेवा कार्यों में थी। वह निर्धनों की झुग्गियों में जाकर बच्चों को पढ़ाती थी। निवेदिता ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा लन्दन के चर्च बोर्डिंग स्कूल से प्राप्त की। बाद में वे कॉलेज में पढने लग

आज ही के दिन हुआ था जम्मू कश्मीर का भारत मे विलय ,महाराजा हरि सिंह ने लिया था बड़ा फैसला

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                     ( फोटो :- विकिपीडिया) 26 अक्‍टूबर भारतीय इतिहास की वो तारीख है, इतिहास में इस तारिख का अलग ही महत्व है क्योंकि जिसे कोई चाहकर भी भूल नहीं सकता है क्योंकि आज के ही दिन धरती के स्वर्ग यानी कश्मीर भारत को नसीब हुआ था। 26 अक्‍टूबर 1947 को ही कश्मीर का भारत में विलय हुआ था। जम्मू-कश्मीर का विलय भारत की राजनीति और इतिहास की सबसे अहम घटनाओं में से एक रही। आजादी के तुरंत बाद पाकिस्तान की तरफ से मिल रही चुनौती के बीच जम्मू-कश्मीर को भारत में विलय कराने में मिली सफलता ने उस समय इतिहास रच दिया था। आज ही के दिन जम्‍मू कश्‍मीर के महाराजा हरिसिंह ने राज्‍य के भारत में विलय के लिए एक कानूनी दस्‍तावेज को साइन किया था। इस दस्‍तावेज को 'इंस्‍ट्रूमेंट ऑफ एक्‍सेशन' कहा गया, जिस पर हस्ताक्षर करते ही कश्मीर अधिकारिक तौर पर भारत का हिस्सा बन गया, हरि सिंह ने ये सब अपनी सहमति से किया था क्योंकि वो भारत के प्रभुत्‍व वाला राज्‍य मानने पर सहमत हो गए थे। इस विलय के साथ ही भारतीय सेना ने जम्मू-कश्मीर का मोर्चा संभाल लिया था। इतिहास में वर्णित है कि महाराजा हरि सिंह 25 अक्‍ट

विजयादशमी पर शस्त्र पूजन का धार्मिक महत्व ,संघ क्यो करता है शस्त्र पूजन

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फ़ोटो साभार: - गूगल भारत में आश्विन मास की नवमी अर्थात नवरात्रि समाप्त होने के बाद विजयादशमी का पर्व मनाया जाता है। दरअसल यह पर्व भगवान श्री राम की लंकापित रावण पर जीत का उत्सव है तो दूसरी ओर यह हमारी एतिहासिक परंपराओं के निर्वहन का त्यौहार भी है। हर साल विजयादशमी का पर्व बड़ी धूमधाम से बनाया जाता है इस दिन शस्त्र पूजन का विधान है ये प्रथा कोई आज की नहीं है बल्कि सनातन धर्म से ही इस परंपरा का पालन किया जाता है. इस दिन शस्त्रों के पूजन का खास विधान है. ऐसा माना जाता है कि क्षत्रिय इस दिन शस्त्र पूजन करते हैं जबकि ब्राह्मण इस दिन खासतौर से शास्त्रों का पूजन करते हैं. विजयादशमी पर्व यानि बुराई पर अच्छाई की जीत का त्यौहार, अधर्म पर धर्म की जीत का त्यौहार. इस बार ये पर्व 25 अक्टूबर को मनाया जाएगा. इस त्यौहार पर शस्त्र पूजा का खास विधान है यहां तक कि हमारी सेना में विजयादशमी के पर्व पर शस्त्र पूजन किया जाता है. विजयादशमी के दिन जो भी कार्य शुरु किया जाए उसमें सफलता निश्चित रूप से मिलती है. आज भी शस्त्र पूजन की ये परंपरा प्राचीन काल से जारी है उस वक्त भी योद्धा युद्ध पर जाने के लिए दशहर

देश में संकट की हर घड़ी में देवदूत की तरह कार्य करता है संघ ,हमेशा की तरह फिर लगा सेवा कार्यो में.

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जब भी देश में कहीं भी विपदा आती है ,जैसे बाढ़ ,भारी वर्षा, प्राकृतिक आपदा अन्य किसी प्रकार की विपदा, तब एक संगठन ऐसा है जो बिना स्वार्थ भाव ,ना दिन देखे ना रात उनकी सेवा में लग जाता है ,कोरोना महामारी जैसी समस्या में जहाँ पूरा भारत घरों में कैद था तब भी यह संगठन बिना स्वार्थ नीति के बिना जान की चिंता किए लोगो की सेवा में लगा रहा । ऐसे संगठन का नाम राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) जिसके स्वयंसेवक बन्धु जहाँ कहि विपदा आती वहाँ सब से पहले पहुँच जाते ,तथा उनकी मदद में लग जाते है , हर समय विरोधियों की आलोचना सहने वाला संघ ,अपने समाजिक कार्यो में अनवरत लगा रहता न जाने विरोधियों द्वारा क्या-क्या नाम से पुकारा जाने वाला राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ से जुड़े लोग अपने कार्य मे अनवरत लगे रहते है है मगर सच तो यह है कि प्राकृतिक आपदा आने पर प्रभावित क्षेत्रों में जितना स्वयंसेवक सक्रिय होकर पीड़ितों की मदद करते हैं, उतनी सहायता शायद ही कोई और संगठन करता हो।  बात करे थोड़े दिन पहले की तो केरल में आयी प्राकृतिक आपदा से भयावह हुई स्थिति के मद्देनजर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने शहर के भिक्षाटन अभिय

अब पुजारी जी की घटना पे हर कोई शांत क्यो , कांग्रेस की गंदी राजनीति

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राजस्थान के करौली जिले में राधा गोविन्द मंदिर के 50 वर्षीय पुजारी बाबूलाल वैष्णव को एक भू-माफिया और उसके साथियों ने बृहस्पतिवार (अक्टूबर 08, 2020) को जिन्दा जला दिया। पुजारी को इस घटना के बाद जयपुर के SMS अस्पताल में भर्ती कराया गया था उनकी मौत हो गई।  पुजारी जी को 6 लोगों ने पेट्रोल डालकर आग के हवाले कर दिया। दरअसल, पुजारी ने भू-माफियाओं को मंदिर की इस जमीन पर अतिक्रमण करने से रोकने का प्रयास किया था, जिसके बदले पुजारी को अपनी जान गँवानी पड़ी। क्यो जान गवानी पड़ी और किसलिए हुआ यह समझने की बात है ,क्या किसी पुजारी की ऐसे हत्या कर दी जाए और सिर्फ 10 लाख ओर सविंदा नोकरी पे न्याय मिल जाये सच तो यह वर्तमान राजस्थान सरकार के लिए यह इतना ही न्याय है । घटना होने के मुद्दे आज तक इतना समय हो गया जो छोटी छोटी घटनाओं पे जो गिद्ध राजनीति करते और हमेशा हर मुद्दे को दलित मुद्दे से जोड़ देने वाले लोगो मे अब तक आंख में एक आंसू नही छलका है । वह बॉलीवुड जो देश छोड़ने की धमकी देता ,इस देश मे रहने से उनको डर लगता है ,पहले महाराष्ट्र में हुई साधुओं की हत्या अब राजस्थान में हुई पुजारी की हत्या पे च

तीन नए कृषि अध्यादेशों का समग्र मूल्याकंन

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