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पर्यावरण पर गहराता संकट भविष्य के लिए वैश्विक चुनौती

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पर्यावरण पर संकट वैश्विक चुनौती

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कोरोना काल मे भी देशभर में सेवा कार्य में जुटा हुआ है संघ

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भारत मे खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र समक्ष है काफी चुनोतियाँ

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कोरोना महामारी वैश्विक संकट : जिम्मेदारी एंव कर्तव्य सभी वर्ग का

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पर्यावरण पर गहराता संकट, भविष्य के लिए वैश्विक चुनौती

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पर्यावरण यानि हमारे चारों और मौजूद जीव-अजीव घटकों का आवरण, जिससे हम घिरे हुए हैं जैसे कि जीव-जंतु, जल, पौधे, भूमि और हवा जो प्रकृति के संतुलन को अच्छा बनाएं रखने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा करते है किंतु जब पर्यावरण शब्द के साथ संकट जुड़ गया तब से विश्व में पर्यावरण दिवस पर्यावरण की सुरक्षा और संरक्षण हेतु पूरे विश्व में मानने की आवश्यकता महसूस हुई इस दिवस को मनाने की घोषणा संयुक्त राष्ट्र ने पर्यावरण के प्रति वैश्विक स्तर पर राजनीतिक और सामाजिक जागृति लाने हेतु वर्ष 1972 में की थी। इसके बाद हर वर्ष 5 जून को पर्यावरण शब्द सुनने को मिलता है किंतु आजतक इतने वर्षों में क्या हम जागृति ला पाए है पर्यावरण के प्रति , पर्यावरण कार्य हेतु दुनियाभर में मनाया जाने वाला सबसे बड़ा उत्सव है। पर्यावरण और जीवन का अन्योन्याश्रित संबंध है तथापि हमें अलग से यह दिवस मनाकर पर्यावरण के संरक्षण, संवर्धन और विकास का संकल्प लेने की आवश्यकता पड़ रही है। आजकल ‘विश्व पर्यावरण दिवस’ पर भले ही इस अवसर पर बड़े-बड़े व्याख्यान दिये जाएं, बड़ी बड़ी गोष्ठियां ओर सम्मेलन किये जाएं या हज़ारों पौधा-रोपण किए जाएं और

कोरोना काल में भी देशभर में सेवा कार्य में जुटा हुआ है संघ

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आज के समय मे पूरा देश कोरोना वायरस की दूसरी लहर की वजह से त्राहिमाम कर रहा है। पूरा देश कोरोना की इस दूसरी लहर की वजह से परेशान है। देश मे अधिकांश राज्यो में आंशिक लॉकडाउन जैसी स्थिति है। हर तरफ हाहाकार मचा हुआ, कुछ जगह कोरोना के कारण दम तोड़ती जिंदगी ,कुछ जगह मेडिकल उत्पादों पे होती कालाबाजारी ,कुछ जगह जवाब देती इंसानियत ,इसके अलावा देश में कभी कोरोना के नाम पर कभी वैक्सीन पे तो कभी अस्पतालो और मेडिकल सुविधा पर ख़ूब हो रही राजनीति किन्तु इनके अलावा देश के साथ खड़ा है एक ऐसा संगठन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और उनके स्वयंसेवक जो कोरोना काल मे दूत बनकर सामने आए हैं और लगातार लोगों की सेवा कर रहे हैं। देश के हर हिस्से में संघ के स्वयंसेवक पूरी तन्मयता से लोगों की सेवा में लगे हुए हैं। संगठन जो सोशल मीडिया से मिलने वाली प्रतिष्ठा और सम्मान से दूर अदृश्य होकर लोगों की सेवा में जुटा हुआ है और आज भी लगातार सेवा कार्य ही कर रहा है। कोरोना महामारी ने मानवता को भी कुचल कर रख दिया है. यदि कोई संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आता है, तो वो भी संक्रमित हो जाता है. इस सबके बावजूद राष्ट्रीय स्वयं