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रोष

तीन बरस की गुड़िया तिल तिल मरके आखिर चली गयी, आज अली के गढ़ में बिटिया राम कृष्ण की छली गयी, नन्हे नन्हे पंख उखाड़े, मज़हब के मक्कारों ने, देखो कैसे ईद मनाई,दो दो रोज़ेदारों ने, कोमल अंग काट कर खाये, कुत्तों ने इफ्तारों में, नोच कुचल कर लाश फेंक दी रमजानी बाज़ारो में आस्तीन में खंज़र रखकर कलियों से गुलफाम मिले, हमको देखो कैसे भाई चारे के परिणाम मिले, आओ थोड़ा शोर मचा लें,हम अपनी लाचारी पे, चार दिवस हो हल्ला कर लें,उस ज़ाहिद व्यभिचारी पर , लेकिन हम कब समझेंगे,मज़हब के कुटिल इरादों को, तहज़ीबें जो सीखा गयी हैं दहशत कत्ल फसादों को, पूछ रहा हूँ,कहाँ मर गए कठुआ पर रोने वाले, शर्मिंदा होने की तख्ती छाती पर ढोने वाले , बॉलीवुड के बेशर्मो की टोली आखिर कहां गयी, और दोगलों की वो सूरत भोली आखिर कहां गयी, स्वरा भास्कर कहाँ  गयी,कहाँ गया वो ददलानी, तैमूरी अम्मा गायब है,कहाँ गयी सोनम रानी , टीवी वाले वो रवीश क्या जीभ कटाने चले गए, डी जे वाले बाबू भी क्या बेस घटाने चले गए, कहाँ गया बेगूसराय का किशन कन्हैया ढूंढों तो, और आसिफा पर रोता वो राहुल भैया ढूंढो तो, कोई नही मिलेगा,सबने पट्टी आंख ल

सोच

सुंदरता हो न हो सादगी होनी चाहिए खुशबू हो न हो महक होनी चाहिए रिश्ता हो न हो भावना होनी चाहिए मुलाकात हो न हो बात होनी  चाहिए यूं तो उलझे है सभी अपनी उलझनों में पर सुलझाने की कोशिश हमेशा होनी चाहिएं ।

कल्पना

कुछ गैर ऐसे मिले, जो मुझे अपना बना गए। कुछ अपने ऐसे निकले जो गैर का मतलब बता गए। दोनो का शुक्रिया दोनों जिंदगी जीना सीखा गए।               *_🚩🏹जय श्री राम🏹🚩_*