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अब पत्रकारिता के दमन पर ,अभिव्यक्ति की आज़ादी कहा है

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4 नवंबर यानी बुधवार की तरोताजा सुबह ने मुंबई में जैसे आपातकाल की याद दिला दी हो यानी अभिव्यक्ति की आजादी जैसे सो कोस दूर हिलोरे मार रही हो ,स्वंत्रता की आजादी जैसे गड्ढे में दम ले लिया हो । हुआ ऐसा की रिपब्लिक टीवी के एडिटर-इन-चीफ अर्नब गोस्वामी को आज सुबह मुंबई पुलिस ने जिस तरह एक पुराने मामले में गिरफ्तार कर लिया है, गिरफ्तार करना किसी पत्रकार के साथ बदसलूकी करना जैसे एक बदले की राजनीति हो रही हो। सब ड्रामा जैसे राज्य सरकार के अधीन हो जैसे किसी के कहने पे चाले चली जा रही हो । किसी को खुलकर बोलने की यह कीमत चुकाई जा रही हो ।सब दुर्भाग्यपूर्ण तो था किंतु किसे इस से क्या मतलब , क्योंकि किसी को अपना उल्लू सिद्ध भी करना था, क्यो नही हो अपनी सरकार है ना। गौरतलब है कि रिपब्लिक टीवी के प्रधान संपादक अर्नब गोस्वामी की गिरफ्तारी का बड़ा कारण उनका बेबाकी से सरकार के खिलाफ बोलना है, जिसके चलते शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे औऱ उनकी सहयोगी पार्टी कांग्रेस उनके समर्थकों की किरकीरी होती रहती है. इतना ही नहीं अभिनेत्री कंगना को भी शिवसेना के खिलाफ मुंह खोलने की कीमत अपना दफ्तर तुड़वाकर चुकान