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नेताजी सुभाष चन्द्र बोस जयंती विशेष

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नेताजी सुभाष चन्द्र बोस जयंती विशेष

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नेताजी सुभाष चन्द्र बोस जयंती विशेष: हर भारतीयों के लिए पराक्रम के प्रतीक

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भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के महानायक, आजाद हिन्द फौज के संस्थापक और जय हिन्द का नारा देने वाले सुभाष चन्द्र बोस जी की आज जयंती है. 23 जनवरी 1897 को उड़ीसा के कटक नामक नगरी में सुभाष चन्द्र बोस का जन्म हुआ था.उनके पिता का नाम जानकीनाथ बोस और माँ का नाम प्रभावती था। नेताजी सुभाष चंद्र बोस का नाम भारत के महानतम स्वतंत्रता सेनानी के रूप में इतिहास में अमर है।  अपनी विशिष्टता तथा अपने व्यक्तित्व एवं उपलब्धियों की वजह से सुभाष चन्द्र बोस भारत के इतिहास में एक महत्वपूर्ण स्थान रखते हैं. उनके पिता कटक शहर के मशहूर वकील थे। अंग्रेज़ सरकार ने उन्हें रायबहादुर का खिताब दिया था। उन्होंने प्रेसीडेंसी कॉलेज से स्नातक किया। 16 वर्ष की आयु में उनके कार्यों को पढ़ने के बाद वे स्वामी विवेकानंद और रामकृष्ण की शिक्षाओं से प्रभावित हुए। फिर उन्हें आईसीएस में पास होकर दिखाना था। आईसीएस की तैयारी के लिए उनके माता-पिता द्वारा इंग्लैंड के कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय भेज दिया गया। उन्होंने 1920 में वरीयता सूची में चौथा स्थान प्राप्त करते हुए आईसीएस की परीक्षा पास कर ली। लेकिन अप्रैल 1921 में, भारत में र

सेना दिवस : भारतीय सेना की गौरवशाली परंपरा का दिन

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देश में हर साल 15 जनवरी को भारतीय थल सेना दिवस मनाया जाता है। आज ही के दिन 1949 में फील्ड मार्शल केएम करियप्पा ने जनरल फ्रांसिस बुचर  से भारतीय सेना की कमान ली थी। फ्रांसिस बुचर भारत के अंतिम ब्रिटिश कमांडर इन चीफ थे। फील्ड मार्शल केएम करियप्पा भारतीय आर्मी के पहले कमांडर इन चीफ बने थे। करियप्पा के भारतीय थल सेना के शीर्ष कमांडर का पदभार ग्रहण करने के उपलक्ष्य में हर साल यह दिन मनाया जाता है। करियप्पा पहले ऐसे ऑफिसर थे जिन्हें फील्ड मार्शल की रैंक दी गई थी। आर्मी डे पर पूरा देश थल सेना के अदम्य साहस, उनकी वीरता, शौर्य और उसकी कुर्बानी को याद करता है।  देश की सीमाओं की चौकसी करने वाली भारतीय सेना अपनी गौरवशाली परंपरा का निर्वाह करते हुए हर साल सेना दिवस मनाती है और इस दौरान अपने दम-खम का प्रदर्शन करने के साथ ही उस दिन को पूरी श्रद्धा से याद करती है, जब सेना की कमान पहली बार एक भारतीय के हाथ में आई थी। केएम करियप्पा 1899 में कर्नाटक के कुर्ग में जन्मे करियप्पा ने 20 वर्ष की आयु में ब्रिटिश इंडियन आर्मी में नौकरी शुरू की थी और भारत-पाक आजादी के समय उन्हें दोनों देशों की सेनाओं

स्वामी विवेकानंद जयंती: एक युवा, जिसने साधु बनकर दुनिया को असली भारत की पहचान बताई।

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12 जनवरी का दिन देश भर में युवा दिवस के रूप में मनाया जाता है. यह दिन स्वामी विवेकानंद जी को समर्पित हैं. आइए जानते हैं एक आम युवा व्यक्ति के स्वामी विवेकानंद बनने तक के सफर को. स्वामी विवेकानंद जी आधुनिक भारत के एक महान चिंतक, दार्शनिक, युवा संन्यासी, युवाओं के प्रेरणास्त्रोत और एक आदर्श व्यक्तित्व के धनी थे । 12 जनवरी, 1863 में कोलकाता के एक कायस्थ परिवार में एक बच्चे का जन्म हुआ था. विश्वनाथ दत्त के घर में जन्मे नरेंद्रनाथ दत्त (स्वामी विवेकानंद) को हिंदू धर्म के मुख्य प्रचारक के रूप में जाना जाता है. नरेंद्र के पिता पाश्चात्य सभ्यता में विश्वास रखते थे. वह चाहते थे कि उनका पुत्र भी पाश्चात्य सभ्यता के मार्ग पर चले. मगर नरेंद्र ने 25 साल की उम्र में घर-परिवार छोड़कर संन्यासी का जीवन अपना लिया. परमात्मा को पाने की लालसा के साथ तेज दिमाग ने युवक नरेंद्र को देश के साथ-साथ दुनिया में विख्यात बना दिया. नरेंद्रनाथ दत्त के 9 भाई-बहन थे, पिता विश्वनाथ कलकत्ता हाईकोर्ट में वकील हुआ करते थे और दादा दुर्गाचरण दत्त संस्कृत और के विद्वान थे. अपने युवा दिनों में नरेंद्र को अध्यात्म मे